Friday, May 17th, 2024

लिफाफा नहीं मिलने पर कालेजों का निरीक्षण करने से 350 प्रोफेसरों ने किया इंकार 

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने आगामी सत्र 2019-20 में कालेजों की संबद्धता और निरंतरता जारी करने के लिए अपनी जमावट शुरू कर दी है, लेकिन प्रोफेसरों ने कालेजों का निरीक्षण करने से इंकार कर दिया है। क्योंकि उन्हें सरकारी कालेजों का निरीक्षण करना है। प्रोफेसरों के ऐसे रवैए को देख बीयू ने उनकी अनुशंसा उच्च शिक्षा विभाग से कराने का निर्णय लिया है। बीयू जल्द ही शासन को पत्र लिखकर प्रोफेसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई कराएगा। बीयू अपनी आठ जिलों के क्षेत्र में फैले कालेजों की संबद्धता पर फोकस किए हुए हैं।

कालेजों ने नये कोर्स को संचालित करने के लिए बीयू को आवेदन दिए हुए हैं। वहीं दो दर्जन नये सरकारी और निजी कालेज भी आगामी सत्र में शुरू हो जाएंगे। बीयू के पास करीब 85 कालेजों का निरीक्षण कराना हैं। हरेक कालेज के निरीक्षण में चार-चार प्रोफेसरों की टीम जाती हैं। इसलिए बीयू ने प्रोफेसरों की टीम बनाने के लिए प्रोफसरों से अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने स्वीकृति देने से इंकार कर दिया। क्योंकि सरकारी कालेजों ने नये कोर्स शुरू करने के लिए बीयू में आवेदन किए हैं। इसमें उनका कोई व्यक्तिगत फायदा नहीं हैं। जबकि यही कार्य निजी कालेजों में होता, तो वे इंकार नहीं करते। क्योंकि निजी कालेजों में निरीक्षण करने पर उन्हें लिफाफे भी मिलते हैं। इससे वे निजी कालेजों का निरीक्षण करने में ज्यादा रूचि दिखाते हैं। इसलिए उन्होंने सरकारी कालेजों के निरीक्षण करने के लिए इंकार कर दिया है। इसके लिए काफी बहाने भी बीयू को पत्र लिखकर बता दिए हैं, जिन्हें देखकर बीयू अधिकारी परेशान हो गए हैं। उनके बहानों की सूची बनाकर बीयू उच्च शिक्षा विभाग को संबद्धता कार्य में सहायता नहीं करने के संबंध में शिकायत करेगा। यहां तक उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की अनुशंसा भी करेगा। 

क्यों नहीं जाना चाहते हैं प्रोफेसर 
बीयू का दायरा आठ जिलों में हैं। इसलिए कोई नया कोर्स शुरू होने या नया कालेज आने पर बीयू को उनके मापदंडों को परखने के लिए प्रोफेसरों टीम भेजते हैं। बीयू उन्हें निरीक्षण के लिए 750 रुपए अदा करता है। इसमें उन्हें 200 किमी का सफर तय करना होता है। वे इतने कम राशि के लिए इतनी मशक्कत करना नहीं चाहते हैं,जिसके कारण वे उक्त कार्य करने से तौबा कर रहे हैं। क्योंकि इतनी व्यवस्था जमाने में बीयू से मिलने वाले 750 रुपए काफी नहीं हैं। हालांकि यही कार्य निजी कालेजों के संबंध में होता, तो प्रोफेसर नहीं करते। बल्कि अपने आप को निरीक्षण कमेटी में रखने के लिए जोर तक लगा देते हैं। 
 

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